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जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव भाजपा और सपा के लिए साख का सवाल

जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव भाजपा और सपा के लिए साख का सवाल

 

यूपी में जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव भाजपा और सपा के लिए साख का सवाल
लखनऊ । उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले हो रहा जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव भाजपा और सपा के लिए साख का सवाल बनता जा रहा है। नामांकन वापसी के दिन ही तय हो गया है कि अब बची 53 सीटों में कड़ा मुकबला होगा।

पिछली सरकारों की तरह इस बार भी अपने पक्ष में नतीजे लाने के प्रयास जारी है। भाजपा का दावा है इस बार उसने 21 सीटों पर निर्विरोध अध्यक्ष जीते हैं। सपा में इससे पहले 36 जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गये थे। सपा ने 2015 में इस चुनाव में खूब ''खेला'' किया था।

जिला पंचायत अध्यक्ष की 53 सीटों पर 3 जुलाई को चुनाव होगा। इनमें से अधिकांश सीटों पर समाजवादी पार्टी और भाजपा की सीधी टक्कर होने जा रही है। भाजपा का दावा है कि 90 फीसदी सीटों पर उनकी पार्टी ही जीत दर्ज करेगी। वर्तमान में अयोध्या, सुल्तानपुर, में त्रिकोणीय संघर्ष देखने को मिल रहा है। रायबरेली में कांग्रेस की आरती और भाजपा की रंजना चौधरी के बीच सीधी लड़ाई है। ऐसे ही सीतापुर में भाजपा की श्रद्धा नागर सपा की अनीता राजवंशी और निर्दलीय चन्द्रप्रभा कनौजिया और प्रीति सिंह के बीच दंगल तय है। बाराबंकी में भी सपा और भाजपा की लड़ाई है। ऐसे ही अम्बेडकर नगर में भाजपा के श्याम सुंदर और सपा के अजीत यादव के बीच मुकबला होगा।

किसान अांदोलन के बीच चर्चा का विषय बना पश्चिमी यूपी भी भाजपा और सपा दोनों की साख का सवाल बना है। बागपत, मुजफ्फरनगर, शामली, हापुड़, बिजनौर में भाजपा और विपक्ष के बीच कांटे का मुकबला देखने को मिलेगा। इसी प्रकार बरेली में सपा की विनीता गंगवार और भाजपा की रश्मि पटेल के बीच कड़ी टक्कर देखी जा रही है। पूर्वांचल में भी भाजपा और सपा के बीच सीधी टक्कर होगी। चंदौली, गाजीपुर, मिजार्पुर, बलिया, आजगढ़ और सोनभद्र में दो-दो प्रत्याशी ही नामांकन वापसी के बाद मैदान में हैं।

पंचायत चुनाव को देखते हुए सत्ताधारी दल भाजपा ने बहुत पहले से ही तैयारी शुरू कर दी थी। भाजपा अपना लक्ष्य तय करते हुए आगे बढ़ रही है। भाजपा की ओर से स्थानीय विधायक, सांसद और संगठन के लोग चुनाव जीताने का पूरा प्रयास कर रहे हैं।

भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनीष दीक्षित कहते हैं, '' 21 जिला पंचायत अध्यक्ष की सीटें भाजपा ने निर्विरोध जीती हैं। मोदीजी-योगी जी के नेतृत्व में जनकल्याण के कदमों व सांगठानिक नेतृत्व की कुशलता से जनता का विश्वास भाजपा में और ²ढ़ हुआ है। यही कारण है कि जनता के चुने प्रतिनिधि भी भाजपा में अपना भरोसा दिखा रहे हैं। बांकी जिलों में भी भाजपा विजय हासिल करेगी।''

बहुजन समाज पार्टी के चुनाव में भाग न लेने के बाद उनके सदस्यों पर दोनों पार्टियों की निगाहें भी होंगी। सपा ने बसपा के कई सारे लोगों को तोड़कर अपने पाले में लिया है। इससे भी संकेत मिल रहा है। बसपा अपना हिसाब बराबर जरूर करेगी। लेकिन वह किस ओर रूख करेगी, इस पर सबकी निगाहें लगी है।

उधर समाजवादी पार्टी की कमान खुद अखिलेश यादव ने संभाल ली है। कई प्रत्याशियों के पाला बदलने के बाद वह खुद मोर्चे पर डट गये हैं। वह जिलों में पदाधिकारियों से फीडबैक ले रहे हैं। विधानसभा चुनाव से पहले सत्ता का सेमीफाइनल माने जाने वाले इस चुनाव में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं।

अखिलेश ने अपने एक बयान पर सत्ताधारी दल भाजपा पर निशाना साधा और कहा, '' जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में सत्ता दल ने जनादेश के साथ खिलवाड़ किया है। बलपूर्वक सपा प्रत्याशियों को नामांकन से रोकने के अलावा उनके समर्थकों पर दबाव बनाने के लिए हर अनैतिक हथकंडा अपनाया गया।''

ज्ञात हो कि तीन जुलाई को राज्य के 53 जिलों में पंचायत अध्यक्ष के लिए वोट पड़ेंगे। 75 जिलों में 159 नामांकन हुए थे। जिनमें से 7 खारिज हो गये थे। 14 नामांकन वापस लिए गये हैं। 22 जिलों में एक प्रत्याशी बचने से निर्विरोध निर्वाचन हुआ है। 53 जिलों में 138 के बीच मुकबला होगा।

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