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कागजात के लिए तहसील से थाने के बीच धक्के खा रहा किसान, एक साल से लगा रहा गुहार,  नहीं निकला नतीजा

कागजात के लिए तहसील से थाने के बीच धक्के खा रहा किसान, एक साल से लगा रहा गुहार, नहीं निकला नतीजा

कागजात के लिए तहसील से थाने के बीच एक साल से धक्के खा रहा किसान - आरटीआई भी नहीं दिला पाया जरूरत के कागजात - गोरारी गांव की जमीन से जुड़ा है मामला, सोनभद्र। जमीन विवाद को लेकर लगाई गई रिपोर्ट और की गई लिखा-पढ़ी की सत्यापित प्रति के लिए एक किसान पिछले 1 साल से तहसील और थाने के बीच धक्के खा रहा है लेकिन अब तक उसे जरूरत के कागजात उपलब्ध नहीं हो पाए हैं। जनसुनवाई पोर्टल पर की गई ऑनलाइन शिकायत और जन सूचना अधिकार के तहत किए गए आवेदन से भी कोई राहत नहीं मिल सकी है। तहसील से कागजात थाने भेजा जाना बताया जा रहा है तो थाने की तरफ से रिपोर्ट लगाई जा रही है कि उसे तहसील में उपलब्ध करा दिया गया है लेकिन कागजात वास्तव में हैं कहां? फिलहाल पीड़ित इसका उत्तर अभी भी तलाशने में लगा हुआ है। ऐसे में उसे संबंधित कागजात मिल पाएंगे या फिर एक टेबल से दूसरे टेबल पर भेजी जा रही रिपोर्ट के बीच हमेशा के लिए गायब हो जाएंगे? इसको लेकर सवाल भी उठने शुरू हो गए हैं।
बताते हैं कि गोरारी गांव में एक जमीन को लेकर रामविलास पांडेय और उनके पट्टीदारों के बीच विवाद चल रहा है। प्रश्नगत जमीन पर विवाद की स्थिति को देखते हुए एसडीएम स्तर से 145 के तहत कार्रवाई करते हुए दोनों पक्षों को संबंधित जमीन से दूर रखा गया है। संबंधित जमीन पर वर्षों से स्वयं का जोतकोड़ होने का दावा करते हुए रामविलास पांडेय की तरफ से एसडीएम के यहां जमीन कार्रवाई से मुक्त करने के लिए आवेदन पत्र प्रस्तुत किया गया। बताया जाता है कि उस पर एसडीएम ने तहसीलदार को और तहसीलदार ने कानूनगो लेखपाल को जांच कर आख्या प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। फरवरी 2020 में दोनों पक्षों का बयान लेकर कानूनगो और लेखपाल ने अपनी रिपोर्ट तहसीलदार के जरिए एसडीएम के यहां प्रस्तुत कर दी। रिपोर्ट को दृष्टिगत रखते हुए एसडीएम की तरफ से राबर्ट्सगंज पुलिस को मौके पर शांति व्यवस्था बनाने और इसके संबंध में आख्या प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। पीड़ित के मुताबिक जब इस बारे में थाने जानकारी की तो बताया गया कि अच्छा यहां से तहसीलदार को प्रेषित कर दी गई है। वहां जाकर पता किया तो पता चला कि कोई आख्या नहीं आई है। इसके बाद रामविलास पांडेय के पुत्र कृष्णभूषण पांडेय ने नवंबर 2020 में ही जन सूचना अधिकार के तहत तहसील में आवेदन देकर थाने भेजे गए पत्रांक 925 का पत्र और उसके साथ भेजे गए पक्षकारों के बयान एवं अन्य कागजात की सत्यापित प्रति की मांग की। इसका संज्ञान लेते हुए गत 20 फरवरी को तहसीलदार ने प्रभारी निरीक्षक रावटसगंज पत्र प्रेषित किया कि पत्रांक 925 दिनांक 20-02-2020 को थाने में भेजा गया है से संबंधित जानकारी सूचना अधिकार के तहत मांगी गई है। चूंकि उसका क्षेत्राधिकार थाने का है, इसलिए आवेदन को उनके यहां स्थानांतरित किया जा रहा है लेकिन आवेदक को इस संबंध में कोई जानकारी नहीं मिल पाई।
तब रामविलास पांडेय ने मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई लेकिन इससे संबंधित कोई कागजात उन्हें नहीं मिल पाया। पुलिस द्वारा आख्या प्रेषित की गई कि उक्त पत्रांक थाने से तहसील कार्यालय को भेजा जा चुका है। ट्वीटर के जरिए गुहार लगाई गई तो पुलिस द्वारा अवगत कराया गया कि गत 24 मार्च को आख्या सहित उक्त कागजात तहसीलदार कार्यालय में संबंधित बाबू को उपलब्ध कराया जा चुका है लेकिन पीड़ित पक्ष का कहना है कि कार्यालय के रजिस्टर में संबंधित कागजात प्राप्त कराए जाने की कोई इंट्री नहीं है।
संपर्क करने पर भी कागजात न मिलने की जानकारी दी जा रही है। ऐसे में वह कागजात के लिए किस से गुहार लगाए? समझ में नहीं आ रहा।

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