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राष्ट्रीय युवा संगीत सम्मेलन में सोनभद्र के लाल ने बिखेरा सुरों का जादू

राष्ट्रीय युवा संगीत सम्मेलन में सोनभद्र के लाल ने बिखेरा सुरों का जादू

सोनभद्र। देश के प्रतिष्ठित राष्ट्रीय युवा संगीत सम्मेलन मैं एक भारत श्रेष्ठ भारत की टीम पर आयोजित कार्यक्रमों में सोनभद्र के होनहार इंद्रेश मिश्रा ने भी अपने सुरों का जादू बिखेरा।। राष्ट्रीय स्तर के कई कार्यक्रमों में अपनी प्रतिभा की चमक प्रदर्शित कर चुके इंद्रेश कैप्सूल ताल के लय ने वहां मौजूद हर किसी को मंत्रमुग्ध करके रख दिया। बेहतर प्रस्तुति के लिए प्रशस्ति पत्र से नवाजा गया।
गायन की शुरुआत राग देश में मध्यलय की दो बंदिशों से की। इसमें संगत पं. उमानाथ मिश्र ने दिया। उसके बाद राग नंद में एक छोटा ख्याल और अंत में एक बनारस की कजरी ठुमरी अंग की प्रस्तुति री। कजरी ...हमरे सांवरिया नहीं आए.. सजनी छाई घटा घनघोर...की प्रस्तुति ने लोगों का दिल बाग-बाग कर दिया। बनारस की परंपरा का निर्वहन करते हुए इंद्रेश ने अपनी गायकी में पूरबी अंग की और अलंकृत तानों के साथ स्वरों की गंभीरता और मधुरता का पूरा ख्याल रखा है। पिता उमानाथ मिश्रा से संगीत की प्रारंभिक शिक्षा ली। उसके बाद पद्मविभूषण डॉ. पं. छन्नूलाल मिश्रा बनारस घराने के सानिध्य में संगीत की साधना पूरी की। इस दौरान काशी हिंदू विश्वविद्यालय में लगातार पांच वर्ष तक गोल्ड मेडलिस्ट बने रहने का गौरव प्राप्त किया। देश के कई प्रतिष्ठित संगीत समारोह में शिरकत कर अपनी प्रतिभा और सोनभद्र के संगीत विरासत को ऊंचाई दी। इसके लिए इंद्रेश को कई लब्ध प्रतिष्ठित पुरस्कार भी मिले। खयाल ठुमरी,दादरा तराना , चतुरंग ,टप्पा ,कजरी ,सोहर ,निर्गुण ,भजन गजल इत्यादि सभी विधाओं के गायन में महारत रखने वाले इंद्रेश कम उम्र में ही अपनी गायकी से देश की राजधानी दिल्ली में भी लोगों के दिल में अपनी जगह बना रखी है। रेडियो, दूरदर्शन पर भी कार्यक्रम सुनने को मिलता रहता है। महामहिम राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के समक्ष भी उन्हें अपने गायन विधा का प्रदर्शन करने का मौका मिल चुका है।

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