अनपरा-पयूर्षण पर्व जैन संस्कृति एवं क्षमा का महानतम पर्व : के सी जैन
अनपरा। सोनभद्र- जैन दिगंबर समाज द्वारा अनपरा मे रविवार को पयूर्षण पर्व विविध कार्यक्रमों के साथ धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अणुव्रत महासमिति के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के सी जैन ने कहा कि पयूर्षण पर्व जैन संस्कृति एवं क्षमा का महानतम पर्व है। पयूर्षण पर्व विशुद्ध रूप से धार्मिक पर्व है. जैन श्वेतांबर आठ दिन का पर्व मनाते हुए त्याग, तपस्या, स्वभाव, उपवास करते हुए समापन पर प्राणी मात्र से क्षमा याचना करते हैं। जैन दिगंबर समाज का उसी दिन से दस लक्षण पर्व शुरू होता है,यह पर्व जैन परंपरा संस्कृति व आत्मावलोचन का पर्व है।जैन श्रावक गण शुद्ध रूप से प्राणी मात्र के प्रति मन, वचन व काया के द्वारा हुई गलतियों को स्वीकारते हुए दूसरों की गलती को क्षमा प्रदान करते हैं।
आज संपूर्ण विश्व में एक देश दूसरे देश व एक व्यक्ति दूसरे की गलती को जरूर देखता है परंतु अपनी गलती को कतई स्वीकार्य नहीं करता है। ऐसे प्रदूषित समय में इन पर्वों का महत्व और भी बढ़ जाता है जहां संपूर्ण वायुमंडल में चारों तरफ ईर्ष्या, बैर,क्रोध व अहंकार सरीखी मानवीय कमजोरिया पैर पसार रही है ऐसे पर्व को मनाने की सार्थकता तभी सिद्ध होती है जब संपूर्ण राष्ट्र की जनता समाज में व्याप्त उपरोक्त कमजोरियों का विसर्जन करें।
पयूर्षण पर्व आत्मावलोचन करते हुए आत्मिक नैतिक एवं चारित्रिक दृष्टि से उन्नत जीवन की ओर अग्रसर बनने एवं स्वयं के सुधारने का एक अवसर प्रदान करता है यह पर्व व्यक्ति को मूर्छा,परमार्थ, आलस्य एवं भ्रम से बाहर लाकर उसे सच्चाई से परिचित कराता है।पर्व का मुख्य उद्देश्य अहिंसा परमो धर्म क्षमा वीरस्य भूषणम् की सार्थकता को सिद्ध करता है।
बहुत सुंदर प्रयास जैन साहब, आप को पयुर्षण पर्व (जैन संस्कृति व क्षमा के महानतम पर्व) की बहुत बहुत बधाई एवं शुभ कामना ! सादर !!
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