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सोनभद्र-एनसीएल के खदानों से भारी मात्रा में हो रही डीजल व कबाड़ की चोरी पर नही लग रहा लगाम,जिम्मेदार कौन?

सोनभद्र-एनसीएल के खदानों से भारी मात्रा में हो रही डीजल व कबाड़ की चोरी पर नही लग रहा लगाम,जिम्मेदार कौन?

- सुरक्षा एजेंसी से जुड़े लोगों के रसूख के चलते नही हो पा रही कार्यवाई

अनपरा। सोनभद्र- एनसीएल की बीना एवं ककरी परियोजना आजकल सुर्खियों में है। एक ओर जहां एनसीएल के सीएमडी भोला सिंह एनसीएल में फैले तमाम भ्रष्टाचार को खत्म करना चाहते हैं उत्पादन और निष्पादन के साथ साथ भ्रष्टाचार पर भी पूर्ण नियंत्रण करने को लेकर दिनरात लगे हुये हैं। लेकिन अधिकारी है कि उनके मंसूबों पर पानी फेरने में हरसंभव प्रयासरत हैं! फिलहाल हम बात कर रहे हैं एनसीएल बीना व ककरी परियोजना की जहाँ सुरक्षा विभाग में तैनात अधिकारीय शायद वह अपने कर्तव्यों के प्रति सजग नही रहै। उनके घोर लापरवाही के चलते रोजाना परियोजना से लाखों की संपत्ति सीकेडी माफियाओं के हवाले हो रही है। 

प्रत्यक्ष दर्शियों की माने तो इनदिनों एनसीएल के ककरी व बीना परियोजना के खदान छेत्र से प्रतिदिन हजारों लीटर डीजल की चोरी की जा रही है। वही खदान छेत्र में रखें भारी भरकम बेशकीमती डोजर डम्पर के समान व पार्ट्स स्थानीय कबाड़ियों के हवाले हो रहे है। यह सब कारोबार कोई और नही बल्कि खदान में तैनात निजी सुरक्षा एजेंसी के मातहत हो रहा है।

सीआईएसएफ की तैनाती वाले कुछ परियोजनाओं को छोड़ दिया जाय तो समूचे परियोजनाओं की क्रमशः यही हाल है। जहां से करोड़ो रूपये की चपत एनसीएल को लग रही हैं। बताते है की यह कारोबार एनसीएल के सुरक्षा विभाग का जिम्मा लिए बैठे अधिकारियों के संरक्षण में फलफूल रहा है। वजह चाहे जो भी हो लेकिन यह सब जानते हुए भी हेडक्वार्टर में बैठे जिम्मेदार अफसर इसपर अंकुश लगाने की जहमत फिलहाल नही उठा रहे!

जानकारी के लिए बतादे कि ककरी व बीना खदान में तैनात निजी सुरक्षा एजेंसी व परियोजना के सुरक्षा बिभाग की गठजोड़ के चलते भारी मात्रा में खदान से डीजल व कबाड़ की चोरी की जा रही है। सीकेडी माफियाओं के हरी हरी नोटों की चमक के आगे सुरक्षा बिभाग के अधिकारी नतमस्तक है। जिसका नतीजा है कि उक्त काले कारोबार को संचालित करने हेतु खदानों में खुली छूट दे रखी है। वही सुरक्षा से जुड़े कुछ लोगों की माने तो इस मंसूबे पर काम कर रहे निजी सुरक्षा एजेंसी के संचालक को मुख्यालय स्तर से खुला संरक्षण प्राप्त है ? 

यदि ऐसा नहीं होता तो एनसीएल के खदानों में प्राईवेट सिक्योरिटी की तैनाती की गयी है। परियोजना की खदान एवं अन्य क्षेत्रों में चप्पे-चप्पे पर प्राइवेट सिक्योरिटी के सुरक्षा गार्ड तैनात हैं। इसके बावजूद रोजाना  खदानों से लाखों रूपये की डीजल व कबाड़ की चोरी कैसे हो जा रही है। जिसका किसी को कानोकान भनक तक नहीं लग रहा।

                   आखिर इसका जिम्मेदार कौन है...?

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