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ठेकेदारों से लिया सहयोग.. और खड़ी हो गई बिल्डिंग

ठेकेदारों से लिया सहयोग.. और खड़ी हो गई बिल्डिंग

ठेकेदारों से लिया सहयोग.. और खड़ी हो गई बिल्डिंग --एक्सईएन बोले, इसमें एक भी विभागीय रुपये नहीं हुआ खर्च --बगैर विभागीय एनओसी भवन निर्माण पर उठ रहे सवाल --- सोनभद्र। दूसरों के लिए भवन निर्माण करने वाला लोक निर्माण विभाग अब खुद के भवन निर्माण के लिए दूसरों से सहयोग लेने लगा है। ताजा तरीन मामला निर्माण खंड 2 का है। यहां एक भवन का निर्माण ठेकेदारों के सहयोग से कराए जाने की बात बताई जा रही है। एक्सईएन रामस्वरूप भी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं। कई बार लखटकिया बांडों के जरिए लाखों का काम कराने को लेकर चर्चा में रह चुके विभाग में इस बार ठेकेदारों के कथित सहयोग से हो रहा भवन निर्माण खासी सुर्खियां बटोर रहा है। अक्सर भुगतान फंसने को लेकर जहां-तहां चक्कर लगाने वाले ठेकेदारों की यह दरियादिली जहां चर्चा में है। वही बगैर विभागीय एनओसी के भवन निर्माण कराए जाने पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं? निर्माण खंड दो की पुरानी बिल्डिंग के बगल में एक नए भवन का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। कार्य करीब-करीब पूरा हो गया है। लाखों की लागत वाले इस कार्य के लिए टेंडर की प्रक्रिया कब अपनाई गई या इस भवन निर्माण के लिए विभागीय आगणन या विभागीय एनओसी की प्रक्रिया कब अपनाई गई? इसका जवाब फिलहाल विभाग के पास नहीं है। एक्सईन रामस्वरूप कहते हैं कि भवन की जरूरत महसूस हो रही थी। इसलिए ठेकेदारों से आपसी सहयोग लेकर भवन का निर्माण कार्य कराया गया है। चूंकि निर्माण विभाग के भवन वाले परिसर में ही है। इसलिए इसके लिए विभाग से एनओसी लेने की जरूरत नहीं समझी गई। भुगतान के लिए परेशान रहने वाले ठेकेदार अचानक इतना बड़ा सहयोग करने के लिए कैसे तैयार हो गए? इस पर उनका कहना था कि विभाग में काफी ठेकेदार हैं। वह विभाग से काम लेते रहते हैं। इसलिए इतना सहयोग तो कर ही सकते हैं। बता दें कि एक लाख से अधिक काम के लिए विभागीय नियमों के मुताबिक जहां टेंडर निकालना जरूरी है। वही किसी भी नए कार्य के लिए विभागीय स्वीकृति या एनओसी की जरूरत पड़ती है। उच्चाधिकारियों को भी किसी निर्माण या प्रस्ताव की सूचना (जानकारी) देना जरूरी समझा जाता है। हालांकि एक्सईएन रामस्वरूप का कहना है कि इस भवन निर्माण में एक भी रुपया विभागीय खर्च नहीं हुआ है। इसलिए इन चीजों की जरूरत नहीं समझी गई।

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